शनिवार, 1 अगस्त 2009

बेटी बचाओ


भारत की मिटटी का गर्व हैं बेटियाँ

घर परिवार को बनती स्वर्ग हैं बेटियाँ


आज कम होती बेटियों की संख्या पर हमें बहुत ध्यान देने की ज़रूरत है आइये हम सब मिलकर बेटियों को बचने का संकल्प करें


फ्रेंड्स

सोसाइटी फॉर रिहेब्लितेसन इलनेस

एजूकेशन नेचर एंड डवलपमेंट

5 टिप्‍पणियां:

  1. खयाल तो अच्छे हैं पूजा जी और मेरी सहमति भी। लेकिन हालात तो बदतर बना दिया गया है लिंग परीक्षण और भ्रूण हत्या करके।

    टी०वी० में एक तरफ दिखलाया जाता है महिलाओं शोषण
    तो दूसरी ओर दिखलाया जाता है महिला मुक्ति का आन्दोलन
    महिला-मुक्ति आन्दोलन का समाज पर इतना प्रभाव है
    कि जन्म से पहले ही मुक्ति का प्रस्ताव है

    सादर
    श्यामल सुमन
    09955373288
    www.manoramsuman.blogspot.com
    shyamalsuman@gmail.com

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  2. Aapne achchha likha hai par aisa bhi nahi hai ki har jagah ki ladkiyan dabi huyi hain. Bade Shahron me aaj bete aur beti me koi fark nahi dekha jata. Pichhri huyi hain to gawon ki ladkiyan. Na padhai ka koi jaria hai aur na hi ghar ki chahardiwari se bahar nikalkar kuchh karne ki gunjaeesh. Aise me agar kam se kam ek aadmi, ek parivar ki ladki ko sahyog karne ka sankalp le to kuchh bhi ho sakta hai. Ye mushkil jarur hai par agar dhairya se kiya jaye to immpossible bhi nahi hai.

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  3. कुछ भी हो आज समय की मांग है की लड़कियों को आगे बढ़ने, पढने का मौका दिया जाए!गाँवों और छोटे कस्बों में अब भी लड़की को एक बोझ ही समझा जाता है....!बिगड़ता लिंग संतुलन भी चिंता का विषय है...

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